सेना झंडा दिवस
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सात बार गिरकर, आठवी बार उठ जाना ये काम भारतीय सेना का जवान ही कर सकता है।
हम चैन से सो पा रहे हैं क्योंकि कोई जाग कर इस देश की रक्षा कर रहा है। जी हाँ भारतीय सेना जो देश की रक्षा के लिए पूरी रात जागते हैं। गर्मी, सर्दी की चिंता किये बगैर दिन रात सीमा पर खड़े रहते है। भारतीय सेना देशभक्ति की एक सच्ची मिसाल है जो अपने प्राणों की परवाह किये बिना वतन की रक्षा करते हैं। भारतीय सेना के होंसले और वतन परस्ती देख दुश्मन भी काँपते हैं।
हर साल 7 दिसंबर को पूरे देश में सशस्त्र सेना झंडा दिवस या झंडा दिवस मनाया जाता है। देश के सम्मान की रक्षा के लिए हमारी सीमाओं पर वीरतापूर्वक लड़ने और जारी रखने वाले शहीदों और सैनिकों को सम्मानित करने के लिए देश भर में यह दिन मनाया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश की सेवा में सशस्त्र बलों के असंख्य सैनिक शहीद हुए हैं। सशस्त्र सेना झंडा दिवस, जिसे भारत का झंडा दिवस भी कहा जाता है, भारतीय सशस्त्र बलों के सैनिकों के कल्याण के लिए भारतीय नागरिकों से योगदान बढ़ाने के लिए समर्पित है।
1949 से, भारत हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाता है। यह सब 28 अगस्त 1949 को शुरू हुआ, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री द्वारा नियुक्त एक समिति ने 7 दिसंबर को एक वार्षिक झंडा दिवस मनाने पर सहमति व्यक्त की। यह भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के ठीक बाद था, और रक्षा कर्मियों के कल्याण को संबोधित करने की आवश्यकता थी।
झंडा दिवस अधिक महत्व रखता है क्योंकि यह भारतीयों की उनके परिवारों और हमारी सैन्य सेवाओं पर भरोसा करने वालों की देखभाल और काम करने की जिम्मेदारियों पर जोर देता है।
जो जीते हैं देश के लिए , वो देश के लिए अपना लहू बहाते हैं, माँ भारती के चरणों में अपना शीश चढ़ाकर, देश की लाज बचाते हैं, परवाह नहीं करते हैं अपनी जान की, देश के लिए, हँसते-हँसते अपनी जान लुटाते हैं..!! ऐसी भारतीय सेना को शत्-शत् नमन !